कोलकाता : पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट से बुधवार को राज्य में 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर दिए है। इनकी संख्या लगभग पांच लाख है। हाईकोर्ट ने ओबीसी सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया और 37 वर्गों को दिए गए ओबीसी आरक्षण को भी रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि रद्द प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल किसी भी रोजगार प्रक्रिया में नहीं किया जा सकेगा। हालांकि उन लोगों पर इस फैसले का असर नहीं पड़ेगा, जो इन सर्टिफिकेट के आधार पर आरक्षण लेकर नौकरी कर रहे हैं .
जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने ओबीसी प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा, मुसलमानों के कुछ वर्गों को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए ओबीसी आरक्षण दिया गया। यह पूरे समुदाय और लोकतंत्र का अपमान है। पीठ ने यह भी कहा कि मुस्लिमों के जिन वर्गों को आरक्षण दिया गया, उन्हें राज्य की सत्तारूढ़ व्यवस्था ने वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया। इन समुदायों को गैर-वाजिब तरीके से आयोग ने जल्दबाजी में आरक्षण दिया, क्योंकि तत्कालीन सीएम प्रत्याशी ममता बनर्जी ने चुनावी वादों में उन्हें यह लाभ देने का वादा किया था।
हम नहीं करेंगे आदेश का पालन : ममता
वहीँ अब सीएम ममता बनर्जी ने कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा, हम इस आदेश का पालन नहीं करेंगे। प्रधानमंत्री कह रहे हैं अल्पसंख्यक ओबीसी आरक्षण छीन लेंगे। क्या कभी ऐसा हो सकता है? ममता ने कहा, ये शरारती लोग (भाजपा) अपना काम एजेंसियों के माध्यम से कराते हैं। किसी के माध्यम से इन्होंने आदेश जारी कराया है। जिन्होंने आदेश दिया, इसे अपने पास रखें। हम भाजपा की राय नहीं मानेंगे। ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा।
इंडी अलायंस के लिए बड़ा तमाचा है : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, हाईकोर्ट ने इंडी अलायंस को बड़ा तमाचा मारा है। पश्चिम बंगाल सरकार ने वोट बैंक के लिए मुसलमानों को ओबीसी बनाने के अनाप-शनाप सर्टिफिकेट दिए। मोदी ने कहा, तुष्टीकरण की सनक हर हद पार कर रही है। यही लोग कहते हैं कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। ये लोग लगातार सरकारी जमीनें वक्फ बोर्ड को दे रहे हैं और बदले में वोट मांग रहे हैं। यह वोट बैंक राजनीति की पराकाष्ठा है।