“kCn&foèkkA द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति होंगी। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। एनडीए प्रत्याशी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया। देश के दूरस्थ और अतिपिछड़े जिलों में शुमार मयूरभंज के रायरंगपुर से निकलकर दिल्ली में रायसीना हिल्स तक पहुंचकर द्रौपदी मुर्मू ने इतिहास ही नहीं रचा है, विपरीत परिस्थितियों से लड़कर जीतने का मंत्र देने वाला आदर्श भी गढ़ा है। सौम्यता और विकास को ही राजनीति की धुरी मानने वाली मुर्मू ने इस उपलब्धि तक पहुंचने की यात्र में कई ऐसे दुखभरे पड़ाव पार किए हैं जो किसी का भी मनोबल तोड़ने के लिए काफी हैं। किंतु वह न थकीं, न रुकीं।

 2009 से 2015 के बीच छह वर्ष के अंतराल में पांच स्वजन की मृत्यु की आघात मुर्मू ने झेला। इस दौरान उनके पति, दो पुत्रों, मां व भाई का निधन हुआ। स्वजन के निधन के आघात के बाद वह ब्रह्मकुमारीज से जुड़ीं। 64 वर्षीय मुर्मू ने वर्ष 2016 में एक साक्षात्कार में जीवन के इस अतिकठिन काल के बारे में बताया था कि मुझे नींद नहीं आती थी। अवसाद से ग्रस्त हो गई थी। फिर मैं ब्रह्मकुमारीज से जुड़ी और खुद को टूटने न देने का संकल्प लिया।

ऐतिहासिक जीत में कई रिकार्ड भी