Azaad-bharat news -राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का सीएम कौन होगा? हर किसी के पास यही सवाल है. ऐसी संभवानाएं व्यक्त की जा रही हैं कि इन प्रदेशों की कमान नए लोगों को मिलने जा रही है. ये तीनों राज्य बीजेपी के पुराने गढ़ रहे हैं. सबसे पहले बीजेपी इन्हीं राज्यों में सत्ता का सुख ले सकी थी. बीजेपी के सबसे पुराने कार्यकर्ता और नेता भी इन्हीं प्रदेशों से हैं. ये भी बहुत हद तक सही है कि इन प्रदेशों में जो पुराने नेता हैं वो जमीन से जुड़े लोग हैं और उनकी अपनी फैन फॉलोइंग है. इन लोगों ने बीजेपी को अपने खून-पसीने सींचा है. तो फिर क्या कारण है कि इन प्रदेशों में पुराने लोगों को किनारे करने की बात चल रही है.आइये देखते हैं कि ऐसी बातें क्यों हो रही हैं कि इन राज्यों में नए लोगों को सीएम बनाया जा सकता है.
भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस हमेशा से 20 साल आगे के बारे में सोचती रही है. यही कारण रहा है कि 2010 में ही लाल कृष्ण आडवाणी को आगे के लिए रेड सिग्नल दिखा दिया गया था. जबकि उस दौर में पार्टी और संघ दोनों में लाल कृष्ण आडवाणी का बहुत जोर था. इसके बाद 2014 आते-आते पीएम पद के दावेदार के रूप नरेंद्र मोदी का नाम आगे रखा जा चुका था. राजस्थान , मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जो भी नेता हैं उन्हें दो दशकों से जनता देख रही है. इस बार का चुनाव तो किसी भी तरह पार्टी ने निकाल लिया है पर अगर चेहरे और रणनीति वही रही तो आगामी सालों में बहुत मुश्किल हो जाएगी. चेहरे तो बदले जा सकते हैं पर नीतियां नहीं बदली जा सकती हैं. जब वसुंधरा , शिवराज और रमन सिंह पर 2 दशक पहले पार्टी ने दांव खेला उसका नतीजा रहा कि बीजेपी अभी तक इन राज्यों में झंडे गाड़ रही थी. इसी तरह अब नई पौध नहीं लगेगी तो आगे के सालों में पार्टी किसकी छांव में सुकून महसूस कर सकेगी. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़... सीएम के लिए नए चेहरों पर क्यों लगाई जा रहीं अटकलें?