सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का अति पावन महत्व माना गया है. कई धर्म ग्रंथों में होने वाले परिणामों की विस्तृत व्याख्या भी की गई है. सावन के महीने में वैसे तो हर एक दिन भगवान शिव का ही होता है लेकिन अमावस्या की पावन तिथि में विशेष विधि से पूजन करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इसी क्रम में पति दीर्घायु होते हैं और संतान सुख की कामना भी पूरी होती है.
प्रयागराज के आचार्य लक्ष्मीकांत शास्त्री ने बताया कि इस दिन सुहागिन महिलाएं पीपल वृक्ष के नीचे भगवान शिव की कथा का पाठ करती हैं. और 108 बार परिक्रमा करते हुए सूत धागे से वृक्ष को बांधती है. इसी क्रम में फल फूल इत्यादि का दान अर्पण किया जाता है, जिसमें विशेष रूप से बेलपत्र और 108 पान का उल्लेख भी है. खास बात यह है कि 57 वर्ष बाद अधिक मास में यह सोमवारी अमावस्या की शुभ मुहूर्त बनी है.
ये है शुभ मुहूर्त
16 जुलाई 2023 को रात 10ः08 से तिथि शुभारंभ है. जिसका समापन 18 जुलाई की रात 12ः01 पर होगा. सूर्योदय तिथि के अनुसार अमावस्या तिथि सावन के दूसरे सोमवार को पड़ रही है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4ः12 से 4ः53 तक होगा. वहीं अभिजीत मुहूर्त 12ः00 से 12ः55 तक है.