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सावन माह में करें ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन, दूर होंगे सभी कष्ट


अन्य 02 July 2023
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मध्य प्रदेश के इंदौर से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर विश्व प्रसिद्ध ओमकारेश्वर मंदिर स्थित है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है. सावन महीना शुरू होने से पहले ही मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है. मंदिर प्रशासन के द्वारा भक्तों की सुविधा के लिए कई तरह की तैयारियां की गई हैं. कई कावड़ यात्री ओंकारेश्वर से जल भरकर उज्जैन के लिए रवाना होते हैं. तो वहीं, कई भक्त नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए जाते हैं. श्रद्धालु बस से इंदौर से ओंकारेश्वर दो घंटे में पहुंचते हैं.


दरअसल, ओंकारेश्वर मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है इसलिए भक्तों के मन में इसका बहुत महत्व है. सावन का महीना भगवान भोलेनाथ की पूजा-उपासना के लिए काफी पवित्र माना जाता है, ऐसे में ओंकारेश्वर मंदिर में भक्त महादेव के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं. मंदिर ट्रस्ट भक्तों की सुविधाओं को देखते हुए और मंदिर को नया स्वरुप देने के लिए लगातार काम कर रहा है. हाल ही में मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश के लिए चांदी का द्वार लगाया गया है. श्रद्धालुओं को ओंकारेश्वर मंदिर नये स्वरूप में नजर आएगा.


ओंकारेश्वर में सावन माह के लिए जोर-शोर से तैयारियां शुरू की गई है. घाट को साफ-सुथरा और स्वच्छ बनाया जा रहा है. साथ ही, यहां महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम की व्यवस्था भी की गई है.


ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास


भगवान के महान भक्त अम्बरीष और मुचुकुन्द के पिता सूर्यवंशी राजा मान्धाता ने इस स्थान पर कठोर तपस्या कर के भगवान शंकर को प्रसन्न किया था. उस महान पुरुष मान्धाता के नाम पर ही इस पर्वत का नाम मान्धाता पर्वत हो गया. ओंकारेश्वर लिंग किसी मनुष्य के द्वारा गढ़ा, तराशा या बनाया हुआ नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक शिवलिंग है. कहा जाता है यहां पर 33 कोटी देवी-देवताओं का वास है तथा नर्मदा नदी मोक्ष दायनी है.


12 ज्योतिर्लिंग में ओंकारेश्वर का पवित्र ज्योतिर्लिंग भी शामिल है. शास्त्रों में मान्यता है कि जब तक तीर्थ यात्री ओंकारेश्वर के दर्शन कर यहां नर्मदा सहित अन्य नदी का जल नही चढ़ाते हैं तब तक उनकी यात्रा पूर्ण नही मानी जाती.



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