महराजगंज (जौनपुर)। जब मानव के जन्म जन्मांतर कल्प कल्पान्तर एवं युग युगांतर के पुण्य उदय होते है तब भागवत कथा सुनने का सुअवसर प्राप्त होता है।
भागवत कथा सुनने से मनुष्यों को जीवन मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है। उक्त बातें केवटली में डॉ दीप नारायण मिश्र के यहां चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास डॉ श्रीनिवास त्रिपाठी ने कही।
कथाव्यास ने कहा कि भागवत के रसपान से मानव को भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, त्याग एवं परम तत्व की प्राप्ति होती है। आज कलिकाल में मानव को चौरासी लाख योनियों से छुटकारा पाने का बस एक मात्र साधन राम नाम कृष्ण नाम का सुमिरन ही है।
श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिरि सुमिरि नर उतरहि पारा। इसका अर्थ है कि राम नाम या कृष्ण नाम के जप ही कलयुग में लोगों को संसार सागर से पार कर सकती हैं।
कथाव्यास ने कहा कि जो फल सतयुग में, त्रेतायुग में, द्वापरयुग में मानव को यज्ञ करके, तप करके, ध्यान करके, समाधि लगा के मिलता था आज कलिकाल में वही फल कुछ पल के सत्संग व राम नाम कृष्ण नाप के जप से मिल जाता है।
कथा के उपरांत भव्य आरती का आयोजन किया गया। इस मौके पर अखिल भारतीय ब्राम्हण प्रतिष्ठान के राकेश मिश्र, सुनील मिश्र, श्याम मिश्र, विनोद पाण्डेय, रमाकांत तिवारी, आनंद तिवारी, मनोज समेत भारी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।