कुंडा (प्रतापगढ़)। दोस्ती अब सिर्फ स्वार्थ पर टिकी है, लेकिन दोस्ती से बड़ा कोई रिश्ता नहीं। दोस्ती अपने आप में एक आदर्श रिश्ता है।
भागवत में श्रीकृष्ण और सुदामा के चरित्र का वर्णन करते हुए स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इस संसार को सच्ची मित्रता का पाठ पढ़ाया है।
वृंदावन से आए आचार्य पंडित श्याम सुंदर शास्त्री ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में विकास खण्ड कुंडा के सरैया प्रवेश पुर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में उक्त बातें कहीं।
कथावाचक ने कहा कि सुदामा गरीबी का सामना कर रहे थे। उनकी पत्नी सुशीला ने कहा कि स्वामी द्वारकाधीश आपके बचपन के मित्र हैं। यदि आप उनके स्थान पर जाते हैं, तो श्रीकृष्ण अवश्य ही आपकी सहायता करेंगे।
अपनी पत्नी की बात सुनकर सुदामा ने कहा कि मुसीबत में कहीं नहीं जाना चाहिए। अगर मैं वहां जाता हूं तो मेरे पास ले जाने के लिए कुछ नहीं है।
सुशीला पड़ोस के घर से दो मु_ी चावल लाकर पोटली में बांधकर सुदामा को देती है और श्रीकृष्ण को भेज देती है। द्वारपाल श्री कृष्ण को बताता है कि एक भिखारी आया है। कह रहा है कि कृष्ण मेरे मित्र हैं और अपना नाम सुदामा बता रहा है।
यह सुनकर श्रीकृष्ण नंगे पांव सुदामा के पास दौड़कर आये और उन्हें गले से लगा लिया। यह घटना सुनकर कथा के प्रांगण में बैठे श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।
इस अवसर पर आचार्य जगदेव, आचार्य राम मिलन, आचार्य हरिओम, बृजेश विश्वकर्मा, राजेश विश्वकर्मा, अनिल विश्वकर्मा, अमित कुमार आदि उपस्थित थे।