देश मे सावन मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है, जो हरियाली तीज के तीन दिन पहले पड़ती है. इस दिन पेड़-पौधों को लगाने की प्राचीन परंपरा चली आ रही है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन आम, आंवला, पीपल, वट वृक्ष और नीम के पौधों को रोपने से देवता और पितृ प्रसन्न होते हैं. भिण्ड के ज्योतिषाचार्य पं.राजेश शास्त्री ने बताया है कि इस वर्ष हरियाली अमावस्या 17 जुलाई को पड़ रही है. इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहा जाएगा क्योंकि ये दिन सोमवार का है.
हरियाली अमावस्या को कई लोग त्यौहार के रूप में भी मनाते हैं. यह दिन प्रकृति के ऊपर आधारित है. वृक्षों की पूजा होती है, घर में पितरों को अर्पित करने के लिए अच्छे-अच्छे पकवान बनाए जाते हैं, जिन्हें पिंडदान करके भोग भी लगाया जाता है. कहा जाता है कि इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है. हरियाली अमावस्या पर व्यक्ति को कम से कम एक वृक्ष का रोपण करना चाहिए जो जीवन के लिए बहुत लाभदायक होता है. इसके अलावा किसानों के लिए भी यह दिन भी लाभदायक रहता है. किसान अपने खेती करने वाले सभी उपकरणों का पूजन करते हैं, ताकि उन्हें अच्छी फसल मिल सके. ग्रहों और उनके दोष दूर करने के लिए वृक्षों की पूजा विशेष लाभदायक होती है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पं. राजेश शास्त्री के अनुसारआज मनाई जाने वाली हरियाली अमावस्या का मुहूर्त इस प्रकार है. हरियाली अमावस्या तिथि की शुरूआत: 16 जुलाई, रविवार, रात 10:08 बजे से हरियाली अमावस्या तिथि की समाप्ति: 18 जुलाई, मंगलवार, 12:01 एएम पर शुभ मुहूर्त: सुबह 05:34 बजे से सुबह 07:17 बजे तक, सुबह 09:01 बजे से सुबह 10:44 बजे तक.रहेगी.