माउंट एवरेस्ट को लेकर करीब तीन साल पहले चीन ने दावा किया था कि इसकी ऊंचाई उतनी नहीं है, जितनी बताई जाती है. चीन के मुताबिक, इसकी ऊंचाई कम है. हालांकि, चीन के इस दावे से माउंट एवरेस्ट के दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत होने के रुतबे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था. अब कुछ शोधकर्ताओं के नए दावे से ये सवाल उठने लगा है कि क्या माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत नहीं रह गया है? अगर शोधकर्ताओं का दावा सही है तो जानते हैं कि दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत कौन सा है और ये कहां है?
सामान्य ज्ञान का सवाल है कि दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत कौन सा है? इसका जवाब काफी आसान है, माउंट एवरेस्ट. माउंट एवरेस्ट के बारे में हमें बचपन में ही पढ़ा दिया जाता है. लेकिन, अब अगर आपने ये जवाब दिया तो शायद आपका उत्तर गलत माना जाएगा. दरअसल, साइंस फोकस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत नहीं रह गया है. जानते हैं कि किस आधार पर इतना बड़ा दावा किया जा रहा है? साथ ही जानते हैं कि नए दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की ऊंचाई कितनी बताई जा रही है?
कहां है दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत
शोधकर्ताओं का दावा है कि दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत नेपाल के बजाय अमेरिका में है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अमेरिका के हवाई में मौजूद सुप्त ज्वालामुखी मौना किया दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है. इस दावे के पक्ष में उन्होंने कुछ तथ्य भी पेश किए हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि नेपाल में मौजूद माउंट एवरेस्ट समुद्र तल से ऊपर दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है. माउंट एवरेस्ट का शिखर समुद्र तल से 8,849 मीटर ऊपर है. इसकी चोटी धरती पर सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है. अब वैज्ञानिकों का तर्क है कि हर पर्वत का बड़ा हिस्सा समुद्र तल से नीचे भी होता है. इस पर कोई ध्यान नहीं देता है.
मौना किया सबसे ऊंचा पर्वत कैसे?
शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर समुद्र के अंदर से लेकर चोटी तक किसी पर्वत की ऊंचाई मापी जाए तो दुनिया का सबसे ऊंचे पर्वत मौना किया ही है. इस आधार पर मौना किया की कुल ऊंचाई 10,205 मीटर है. वहीं, माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,849 मीटर है. लिहाजा मौना किया ही दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है. मौना किया का आधा से ज्यादा हिस्सा प्रशांत महासागर के अंदर मौजूद है. इसका करीब 6,000 मीटर हिस्सा समुद्र के नीचे है. वहीं, 4205 मीटर हिस्सा समुद्र तल से ऊपर है. दोनों को मिलाकर मौना किया एवरेस्ट से करीब 1.4 किमी ज्यादा ऊंचा है. बता दें कि ज्वालामुखी मौना किया बहुत समय से निष्क्रिय अवस्था में है.
कभी भी सक्रिय हो सकता है मौना किया
वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्वालामुखी मौना किया 4,500 सालों से निष्क्रिय अवस्था में है. हालांकि, अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का कहना है कि ये ज्वालामुखी कभी भी सक्रिय हो सकता है. दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत भी अमेरिका के हवाई में ही है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, हवाई में सक्रिय ज्वालामुखी मौना लोआ को ये दर्जा हासिल है. इसकी कुल ऊंचाई 9.17 किमी है. इस आधार पर माउंट एवरेस्ट दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत हो जाएगा. तमाम दावों के बीच अभी तक आधिकारिक तौर पर दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत का दर्जा हासिल है.
मापने के तरीके पर निर्भर है पर्वत की ऊंचाई
शोधकर्ताओं के मुताबिक, दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत होना इस इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे मापते हैं. उनका कहना है कि इक्वाडोर में माउंट चिम्बोराजो तीसरा पर्वत है, जिसे दुनिया में सबसे ऊंचा माना जा सकता है. उनके मुताबिक, दरअसल पृथ्वी पूरी तरह से गोल नहीं है. इसकी भूमध्य रेखा बाहर की ओर उभरी हुई है. इक्वाडोर के एंडीज में मौजूद चिम्बोराजो भूमध्य रेखा से केवल एक डिग्री दक्षिण में है और एक निष्क्रिय ज्वालामुखी है. इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 6,310 मीटर है. अगर धरती के केंद्र से मापा जाता है, तो चिम्बोराजो पृथ्वी पर सबसे ऊंचा पर्वत होने का दावा कर सकता है. हालांकि, हम ग्रह के केंद्र से माप नहीं करते हैं. इसके बजाय समुद्र तल से ऊपर या आधार से शिखर तक की माप करते हैं.