ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव को कर्म का फल दाता माना जाता है. मनुष्य जैसे कर्म करता है उसी के अनुरूप शनिदेव उसे शुभ और अशुभ परिणाम प्रदान करते हैं. जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली में साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही होती है, उसमें मिलने वाले कष्ट और सुख भी आपके कर्मों पर ही निर्भर करते हैं. साढ़ेसाती का चक्र मनुष्य के जीवन को साढ़े सात साल तक प्रभावित करता है. वहीं, ढैय्या जातक को ढाई साल तक प्रभावित करता है. आज के इस आर्टिकल में जानेंगे दिल्ली निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित आलोक पाण्डया से कि ढैय्या एक व्यक्ति के जीवन में कितनी बार आ सकती है, किस तरह प्रभावित करती है और अभी किस राशि में इसका प्रभाव है.
क्या है शनि की साढ़ेसाती
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी व्यक्ति की कुंडली में साढ़ेसाती की शुरुआत होती है, तब शनि उस व्यक्ति के कर्मों का हिसाब करते हैं.
शनि की साढ़ेसाती ढाई-ढाई साल के तीन अंतराल से मनुष्य को प्रभावित करती है.
पहले अंतराल में आर्थिक समस्या, दूसरे और तीसरे अंतराल में कार्यक्षेत्र में परेशानी, पारिवारिक जीवन में उतार चढाव और शारीरिक कष्ट झेलना पड़ता है.
कितनी बार आती है साढ़ेसाती
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती का प्रभाव एक राशि में नहीं रहता. यह एक साथ कई राशियों को प्रभावित करती है.
शनिदेव जिस घर में विराजमान होते हैं वे उसके आगे और पीछे की राशि को भी प्रभावित करते हैं.
शनिदेव एक राशि में लगभग ढाई साल विराजमान होते हैं. जिसके कारण राशि चक्र की 12 राशियों में घूमने में उन्हें पूरे 30 साल का समय लगता है.
ज्योतिष गणना के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में तीन बार साढ़ेसाती का प्रभाव अवश्य पड़ता है.
प्रत्येक व्यक्ति हर 30 साल के बाद शनि की साढ़ेसाती का परिणाम भोगता ही है.
साल 2023 में साढ़ेसाती से कौन है प्रभावित
-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल 2023 में 12 राशियों में से 3 राशि मकर, कुंभ और मीन शनि की साढ़ेसाती झेल रहे हैं.
-साढ़ेसाती के कुप्रभाव को कम करने के लिए मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों को अधिक से अधिक भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा आराधना करना चाहिए.