कई बार घर के माहौल और लगातार तनाव की वजह से बच्चे एग्रेसिव बन जाते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को हर वक्त बच्चों में कमी निकालने की बजाय, उन्हें समझने और उनकी परेशानियों का हल निकालने में मदद करना चाहिए.
यंगमाइंड के मुताबिक, कुछ माता पिता बच्चों के साथ हर वक्त इर्रिटेट होकर ही बात करते हैं, जिससे बच्चे के मन में यह बात घर कर जाती है कि उसकी परेशानियों का हल निकालना या मदद करना उसके माता पिता को पसंद नहीं. ऐेसे में वह खुद को अकेला महसूस करता है और सही तरीके से अपनी भावनाओं को व्यक्त ना कर पाने की वजह से गुस्सैल स्वभाव का हो जाता है.
अगर आपका बच्चा इन दिनों बात बात पर गुस्सा दिखा रहा है या चिल्ला रहा है तो उसे डांटने की बजाय आप उसकी भावनाओं को समझें और प्यार से बात करें. बेहतर होगा कि आप उसे गले लगाएं और यह महसूस कराएं कि आपको उसकी फिक्र है. याद रखिए, अगर आप उसे डांट कर शांत कराने की कोशिश करेंगे तो वह और भी इरिटेट होगा. इसलिए बात करें, डांटें नहीं.
कुछ माता-पिता बच्चों पर हर वक्त नजर रखते हैं और उसकी हर छोटी बड़ी गलतियों पर टोकते रहते हैं. इससे बच्चे के मन में नकारात्मक भावनाएं जन्म लेने लगती हैं और वह आपके इस स्वभाव से इरिटेट होने लगता है. बच्चों को थोड़ा वक्त अकेले भी गुजारने दें, उन्हें गलतियां करने का मौका दें. बता दें कि गलतियों से बच्चे सबसे ज्यादा सीख लेते हैं.
माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि वे आपस में बच्चों के सामने लड़ाई ना करें. ऐसा करने से बच्चे के कोमल मन पर बुरा असर पड़ता है और वे भी नकल करने लगते हैं. यही नहीं, कई बच्चे इसकी वजह से अवसाद और डर के साए में जीने लगते हैं. ऐेसे बच्चे स्ट्रेस में रहने लगते हैं और गुस्सैल बन जाते हैं. याद रखें, बच्चों के आसपास सकारात्मक माहौल बनाएं और उन्हें भावनाओं को व्यक्त करने दें. आपका यह व्यवहार उनके व्यवहार में काफी बदलाव लाएगा.