Azaad-bharat News/*08 नवंबर, रायगढ़* । जिला रायगढ़ की द्वितीय अपर सत्र न्यायालय में न्यायाधीश श्री जितेंद्र कुमार ठाकुर ने थाना पुसौर के हत्या मामले में 05 नवंबर को दो सगे भाइयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक श्री मोहन ठाकुर ने पैरवी की।
17 जुलाई 2022 को थाना पुसौर क्षेत्र के ग्राम लोहाखान काजूबाड़ी में गांव के निवासी, उदेराम भोय का शव पेड़ पर टंगा मिला। प्रारंभिक जांच में पता चला कि अज्ञात आरोपी ने उदेराम की हत्या करने के बाद उसकी हत्या को आत्महत्या का स्वरूप देने की कोशिश की और सबूत छिपाने के लिए शव को पेड़ पर लटका दिया था । इस अंधे कत्ल मामले में तात्कालिक थाना प्रभारी पुसौर, उप निरीक्षक गिरधारी साव (वर्तमान थाना जूटमिल) ने मर्ग कायम कर मृतक के वारिसानों और गवाहों के कथन लिये । जांच अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन पर तत्काल कार्रवाई करते हुए पुलिस डॉग रूबी की मदद ली गई, जिसमें स्पष्ट हुआ कि उदेराम की हत्या कहीं और कर शव को काजूबाड़ी लाया गया है, सामिलाती खाते, पारिवारिक विवाद के एंगल पर जांच करते हुए जांच अधिकारी एसआई गिरधारी साव ने मृतक के चचेरे भाई आरोपित शिवकुमार भोय और जितेंद्र भोय के विरूद्ध अहम सबूत पाये और दोनों आरोपियों के खिलाफ अपराध क्रमांक 307/2022 धारा 302, 201, 34 आईपीसी के तहत हत्या और साक्ष्य छिपाने का मामला दर्ज किया।
जांच के दौरान आरोपी शिवकुमार भोय और जितेंद्र भोय के खिलाफ अहम साक्ष्य, जैसे बिजली के तार, मृतक के कपड़े और चप्पल, जब्त किए गए। इन साक्ष्यों के आधार पर उप निरीक्षक गिरधारी साव ने आरोपियों के विरुद्ध जेएमएफसी न्यायालय रायगढ़ में चालान पेश किया। मामले की सुनवाई द्वितीय अपर सत्र न्यायालय में चली, जहां 05 नवंबर को निर्णय आया।
माननीय न्यायाधीश श्री जितेंद्र कुमार ठाकुर ने आरोपी शिवकुमार भोय (उम्र 40 वर्ष) और जितेंद्र भोय (उम्र 30 वर्ष), दोनों निवासी लोहाखान, थाना पुसौर को दोषी करार देते हुए हत्या के आरोप में धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और ₹2500 का अर्थदंड तथा साक्ष्य छिपाने के अपराध में 7 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹2500 का अर्थदंड की सजा सुनाई। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी।
इस मामले की संपूर्ण विवेचना तात्कालिक थाना प्रभारी पुसौर, उप निरीक्षक गिरधारी साव (वर्तमान थाना जूटमिल) द्वारा की गई, जिनकी प्रभावी विवेचना और अपर लोक अभियोजक श्री मोहन ठाकुर की पैरवी से आरोपियों को सजा दिलाई जा सकी।