Telangana Liberation Day: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने रविवार को कहा कि तेलंगाना (Telangana) राज्य के गठन के बाद भी राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति के कारण ‘तेलंगाना मुक्ति दिवस’ (Telangana Mukti Diwas) मनाने से झिझकते हैं। शाह ने 17 सितंबर 1948 को पूर्ववर्ती निजाम शासन से क्षेत्र की आजादी और हैदराबाद राज्य के भारतीय संघ में विलय की याद में ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने के लिए आयोजित केंद्र के आधिकारिक कार्यक्रम में ये टिप्पणी की।
गृह मंत्री ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के कारण राजनीतिक दल ‘मुक्ति दिवस’ मनाने से झिझकते हैं, जो कि ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है। उन्होंने कहा, “मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि देश के लोग उन लोगों से मुंह मोड़ लेंगे, जो अपने देश के इतिहास से मुंह मोड़ते हैं।”
शाह ने कहा कि देश के इतिहास, शहीदों के बलिदान और देश के स्वतंत्रता संग्राम का सम्मान करके ही तेलंगाना और देश को आगे बढ़ाया जा सकता है। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और सलामी ली।
शाह ने वर्तमान तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक में निजाम शासन के दौरान रजाकारों (निजाम के सशस्त्र समर्थकों) की तरफ से किए गए अत्याचारों को याद किया। ये राज्य तत्कालीन हैदराबाद शासन का हिस्सा थे।
उन्होंने हैदराबाद की मुक्ति का श्रेय देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को दिया और कहा कि उनके प्रयासों के कारण निजाम के रजाकारों ने आत्मसमर्पण कर दिया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले 75 साल में किसी सरकार ने ऐतिहासिक ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ नहीं मनाया।
शाह ने कहा कि ‘तुष्टीकरण की राजनीति’ के कारण पूर्ववर्ती सरकारें हमेशा डरती रहीं और उन्होंने इसे नहीं मनाया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने का फैसला किया।
शाह ने कहा कि पिछले नौ वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ा है।
उन्होंने दावा किया कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में 2014 में 11वें स्थान से अब पांचवें स्थान पर पहुंच गया है और मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन के माध्यम से देश की संस्कृति और कला को लोकप्रिय बनाया है।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष जी. किशन रेड्डी ने भी इस कार्यक्रम में लोगों को संबोधित किया।
निजाम शासन के अधीन रहे हैदराबाद को ‘ऑपरेशन पोलो’ नाम के एक पुलिस अभियान के बाद भारतीय संघ में मिला लिया गया था। ‘ऑपरेशन पोलो’ 17 सितंबर, 1948 को पूरा हुआ था।