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दूसरा विवाह अपराध है,1 एकड़ जमीन व 3 हजार रू. प्रतिमाह आवेदिका को देगा पति


छत्तीसगढ़ 18 January 2025
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मां की सम्पत्ति पर सभी बच्चों का बराबर अधिकार



Azaad-bharat News/रायपुर / 17 जनवरी 2025 /छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक सदस्य एवं गण श्रीमती सरला कोसरिया, श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, श्रीमती ओज देवी मंडावी एवं शिक्षामित्र शोरी ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीडन से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग के अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 302 वीडियो समीक्षा हुई। रायपुर जिले में 144 वि. जनसुनवाई.


आज की सुनवाई में एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि आवेदिका के पति द्वारा किये गये कार्यों का बकाया भुगतान नहीं किया गया है। अनावेदिका के कार्यकाल के दौरान 70 हजार रू. का भुगतान नहीं किया गया है। पूर्व में कार्यरत् अधिकारी और उनके स्वयं के कार्यकाल का बकाया आवेदिका पक्ष को मिला तथा 28 हजार का भुगतान का बिल ट्रेजरी में जमा हुआ, जो आवेदिका को मिल जायेगा। अनावेदिका ने लिखित प्रस्ताव दिया जिसके अनुसार मार्च 2017 से नवंबर 2017 से 09 माह के दौरान आवेदिका के पति द्वारा कार्य नहीं किया गया है। जिस पर आवेदिका के पति ने अपने 03 पूर्व सहकर्मियों का सहमति पत्र प्रस्तुत किया। सहकर्मियों द्वारा पत्र में हस्ताक्षर किया गया है जिसके अनुसार आवेदिका का पति उस अवधि में कार्यरत् था। जबकि उसी अवधि के लिए अनावेदिका ने भी इन्ही 03 गवाहों का दस्तावेज प्रस्तुत किया जिसके अनुसार आवेदिका के पति ने उसी अवधि में कोई कार्य नहीं किया है। आयोग ने कहा दोनो ही दस्तावेज एक ही तरह के गवाहों से बने है, जिन्हें मान्य नहीं किया जा सकता। आयोग द्वारा निर्देशित किया कि समुचित दस्तावेज दोनों पक्ष आयोग में उपस्थित करें ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।


एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने मां के नाम की जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम से करा लिया। अनावेदकगण और आवेदिका 5 भाई-बहन है और मां के नाम की सम्पत्ति पर सभी का बराबर हक है। अनावेदक का कहना है कि मां कि अन्य सम्पत्ति के 5 हिस्सेदार है, जिसका बंटवारा आयोग के द्वारा कराये जाने पर सभी सुलहनामे से समझौते के लिए तैयार है। आयोग ने कहा कि अधिवक्ता के माध्यम से सुलहनामा बनाया जा सकता है ताकि सभी के मध्य 5 हिस्सों में बंटवारा कराया जा सके और प्रकरण का निराकरण किया जा सके।


एक प्रकरण के दौरन आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) ने आवेदिका से बिना तलाक लिए दूसरा विवाह कर लिया है, जिससे उनकी एक बच्ची भी है। यह एक अपराधिक प्रकरण है और सजा पाने का पर्याप्त आधार है। अनावेदक (पति) द्वारा आवेदिका और बच्चों को काई भी भरण-पोषण नहीं दिया जा रहा है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक (पति) द्वारा प्रति माह 3 हजार रू. और ससुर द्वारा 1 एकड़ जमीन आवेदिका और उसके बच्चों को दिये जाने की सहमति दी।


अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके बेटे ने 5 लाख रू लोन ले रखा है और उसे आज तक नही पटाया है। लोन नहीं पटने के कारण रिकवरी एजेंट के खिलाफ आवेदिका ने यह प्रकरण दर्ज कराया है। रिकवरी एजेंट द्वारा आवेदिका व उसके रिश्तेदारों को फोन करके परेशान किया जा रहा है। जिससे आवेदिका मानसिक रूप से परेशान है। आयोग ने समझाईश दी कि दोनो पक्ष आपस में सुलह का प्रयास करें ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सकें।


एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदकगणों द्वारा सोशल मीडिया, व्हाट्सप के माध्यम से आवेदिका का चरित्र हनन का प्रयास संयुक्त व एकल रूप से किया जा रहा है। अनावेदकगण सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहे। आयोग के द्वारा अनावेदकगणों को अगली सुनवाई में थाना प्रभारी के माध्यम से प्रस्तुत किये जाने के निर्देश दिये। ताकि प्रकरण की सुनवाई की जा सके।

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