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एक पेड़ नव दांपत्य जीवन के नाम -विमल चौधरी

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Azaad-bharat News/रायगढ़, जिला शक्ति के ग्राम ढेकुना भांटा निवासी स्व, श्री जनक राम पटेल और श्रीमती अनीता पटेल की पुत्री भूमिका का विवाह रायगढ़ निवासी श्री रूपेंद्र पटेल के साथ 11 जुलाई 2024 को संपन्न हुआ । विवाह की सारी रस्में , रीति रिवाज और भारतीय परंपराओं के अनुसार निर्विघ्न  संपन्न होने के पश्चात भूमिका एवं पति रूपेंद्र पटेल ने अपने विदाई के पूर्व अपने फूफा श्री उमाशंकर पटेल के प्रेरणा से एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसे वहां उपस्थित बाराती और घराती के साथ-साथ आसपास के जिन लोगों ने भी सुना एवं देखा वह सभी अचंभित रह गए, नव विवाहित जोड़े ने अपने नव दांपत्य जीवन की शुरुआत करने के लिए कुछ ऐसा सोचा जो वाकई में भावी पीढ़ीयो के लिए प्रेरणा का एक पल रहा एवं उसकी दूरदर्शिता से सभी प्रभावित हुए यहां तक की रूपेंद्र के पिता ने यह भी कहा की सामान्य तौर पर बहुएं जब घर जाती है और कुछ दिन अपने परिवार के साथ रहती है उसके बाद ही पता चलता है की बहू के सोचने समझने और सामाजिकता का स्तर क्या है, किंतु मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे अपनी बहू की कुछ सोच और समाज एवं देश के प्रति उसका लगाव विदाई के पूर्व ही प्राप्त हो गया।

 मैं गौरवान्वित हूं इस कन्या से अपने पुत्र का विवाह करके। यह सुखद पल उस समय की है जब भूमि का विवाह संपन्न होने के पश्चात अपनी विदाई से पूर्व अपने फूफा श्री उमाशंकर पटेल की प्रेरणा से यह निर्णय लेती है कि वह अपने नवजीवन की शुरुआत में ही एक पेड़ अपने नवदांपत्य के नाम करना चाहती है , यह विचार सुनकर उपस्थित सारे लोग गदगद हो गए और उनका सर गर्व  से अपने इस लाडली के विचारों को सुन ऊंचा हो गया । उसकी इस इच्छा में उनके पति ने भी अपनी पूरी सहमति दी और उन दोनों ने विदाई से पूर्व एक पेड़ अपने पिता के द्वारा निर्मित शिव मंदिर प्रांगण  में लगाया और कहा जिस तरह यह पेड़ अपने विराट रूप को प्राप्त करेगा,  फूलेगा, फलेगा उसी प्रकार हमारा नव जीवन भी आप लोगों के आशीर्वाद से सुखी और संपन्न रहेगा और भारतीय संस्कृति और परंपराओं के अनुरूप प्रस्तुत होते हुए एक नए आयाम तक पहुंचेगा और इसमें मेरे माता-पिता और गांव वालों का भी साथ, आशीर्वाद के रूप में मुझे चाहिए और वह आशीर्वाद यह होगा कि इस पेड़ को आप लोग सूखने नहीं देंगे, और समय-समय पर इसे पानी और खाद देकर इस धरती की शोभा बढ़ाने में अपना पूरा सहयोग प्रदान करेंगे।

 इस अवसर पर जहां गांव वालों ने उनकी भूरी भूरी प्रशंसा की वहीं उपस्थित 7 बच्चे मानो सप्त ऋषि का प्रतिनिधित्व करते हो उन्हें कौतूहल भरी नजरों से देखे जा रहे थे , उन्हें बहुत कुछ तो समझ में नहीं आ रहा था लेकिन वह इतना जरूर जान रहे थे कि यहां दीदी कुछ अच्छा करके जा रही है जिससे पूरे गांव वाले प्रसन्नचित नजर आ रहे हैं, जहां विदाई के आंसू होने चाहिए वही लोगों की आंखों में विदाई के साथ-साथ कुछ और भी ऐतिहासिक पलो के आंसू नजर आ रहे हैं, और निश्चय ही यह कारनामा कुछ वर्षों पश्चात इन बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का सबक बनने जा रहा है । इस ऐतिहासिक पलों के साक्षी रहे दूल्हे एवं दुल्हन के माता-पिता के अतिरिक्त श्री उमाशंकर कुसुम पटेल, फागुलाल राम कुमारी पटेल, श्री धन सिंह जानकी, मंदिर के पुजारी श्री राजेश्वर जी, श्री फूल सिंह , श्री  अजय ,लखन ,दिलहरण, गजेंद्र, भानु, चिंटू ,गौरव ,कृष, रामकृष्ण, चिरंजीव, योगेश, मुकेश, अमित, अनुराग के साथ-साथ गांव के सैकड़ो महिला, पुरुष एवं बच्चे इस पल के साक्षी रहे।

   

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