मनीष सिसोदिया पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। सिसोदिया कोई भागनेवाले गृहस्थ नहीं हैं। लेकिन किसी अपराधी की तरह उनके खिलाफ ‘लुकआउट’ नोटिस जारी करके जनता द्वारा चुनी गई सरकार की तौहीन की गई। इसलिए ही देश की स्थिति संभ्रम वाली है। ऐसा श्री पवार कहते हैं तो यह सत्य है। यह सब केजरीवाल की सरकार को गिराने के लिए किया जा रहा है। अब श्री मनीष सिसोदिया ने बीजेपी की ‘वॉशिंग मशीन’ पर बम गिराया है। ‘बीजेपी में प्रवेश करो, ‘आप’ के विधायकों को तोड़कर लाओ और मुख्यमंत्री बनो। ऐसा करने पर आपके खिलाफ ईडी, सीबीआई के तमाम प्रकरण बंद कर दिए जाएंगे।’ ऐसा ऑफर बीजेपी द्वारा दिए जाने का दावा सिसोदिया ने किया। ‘आप’ के विधायकों को तोड़ने के लिए बीस-बीस करोड़ रुपयों का ‘ऑफर’ दिए जाने का आरोप तो खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ही लगाया है। इसलिए ‘ऑपरेशन कमल’ लोकतंत्र और आजादी के लिए कितना घातक है यह घिनौने ढंग से सामने आया है।
महाराष्ट्र में इसी तरह से ऑपरेशन चलाया गया, परंतु बड़ा राज्य होने के कारण और शिवसेना तोड़ना यही मुख्य एजेंडा होने की वजह से ईडी की धौंस, अतिरिक्त पचास खोखे इस तरह की रसद दी गई, ऐसा खुलकर कहा जा रहा है। महाराष्ट्र की भेड़ें घबराकर भाग गईं, उस तरह से दिल्ली के विधायक और उनके नेता नहीं भागे। वे बीजेपी और ईडी के खिलाफ दृढ़तापूर्वक खड़े रहे। महाराष्ट्र में शिवसेना नेता संजय राऊत ने बेखौफ होकर ईडी का सामना किया। वे मराठी स्वाभिमान के साथ लड़े, लेकिन झुके नहीं और सच्चे शिवसैनिक की तरह जूझे। इसी तरह की सख्त नीति सिसोदिया ने अपनाई। सिसोदिया छत्रपति शिवराय के मावलों की तरह दहाड़े। स्वाभिमान की तलवार हाथ में लेकर उन्होंने कहा, ‘साजिश करनेवाले भ्रष्ट लोगों के समक्ष बिलकुल भी नहीं झुकेंगे।’
महाराष्ट्र में गृहमंत्री अनिल देशमुख, मंत्री नवाब मलिक, सांसद संजय राऊत की आवाज को दबाने के लिए उन्हें उठाकर जेल में डाला गया। दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिक वाले मंत्री सत्येंद्र जैन को पुराने प्रकरण में पकड़ा। आबकारी नीति में सरकारी तिजोरी को नुकसान हुआ इसलिए मनीष सिसोदिया पर कार्रवाई चल रही है। फिर इन ईडी, सीबीआई वालों से हमारा सवाल है, बीते सात-आठ वर्षों में जिस जल्दबाजी से सार्वजनिक कंपनियां, हवाई अड्डों की बिक्री की गई, उसमें सरकार को क्या नफा-नुकसान हुआ और इस पर इन जांच एजेंसियों ने कौन-सी कार्रवाई की?