वानखेड़े ने कहा कि सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद, वह अतीत में कई बार जोखिम का मुद्दा उठाते रहे हैं। उच्च न्यायालय के पिछले शुक्रवार के निर्देशों के अनुसार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा आईआरएस अधिकारी से दो दिन, लगभग पांच घंटे प्रतिदिन पूछताछ की गई।
पिछली सुनवाई में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2008 बैच के आईआरएस अधिकारी वानखेड़े को 22 मई तक किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से राहत दी थी, जिनकी भूमिका 2 अक्टूबर, 2021 को कॉर्डेलिया क्रूज जहाज पर छापे के दौरान सीबीआई के रडार पर आ गई है। बता दें, महा विकास आघाडी सरकार के पूर्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता नवाब मलिक, और क्रूज छापे में एक गवाह प्रभाकर सेल (जिनकी पिछले साल मृत्यु हो गई थी) ने वानखेड़े और छापा मारने वाली टीम के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे।