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छत्तीसगढ़

बेल बॉन्ड के अभाव में नहीं रुकेगी जमानत पर रिहाई, सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों को लेकर दिए 7 अहम निर्देश



इसके आगे भी शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि अगर जमानत पर रिहाई के एक माह बाद भी कैदी बेल बॉन्ड या फिर श्योरिटी जमा नहीं करा पाता है तो संबंधित कोर्ट इस मामले का स्वत: संज्ञान ले सकती है। इसके बाद वो कोर्ट या तो अपने आदेश को मॉडीफाई कर सकती है या फिर कैदी को राहत देने के लिए शर्तें पूरी करने की मियाद में और इजाफा कर सकती है।

इतना ही नहीं, शीर्ष कोर्ट ने अपने निर्देश में यह भी कहा है कि अक्सर देखा गया है कि लोकल श्योरिटी नहीं दे पाने की वजह से कैदी की रिहाई नहीं हो पाती है। ऐसे किसी भी मामले में कोर्ट फिर से विचार करके इस शर्त को हटा भी सकती है। शीर्ष कोर्ट ने साफ कहा है कि ऐसे मामले में लोकल श्योरिटी को हटा दिया जाए तो ही ठीक है।

सुप्रीम कोर्ट के इन अहम निर्देशों के बाद उम्मीद है कि जमानत मिलने के बाद भी बेल बॉंड या श्योरिटी के अभाव में कैदियों की रिहाई में अब कोई अड़चन नहीं आएगी।



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