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Chhattisgarh

UGC के नियमों के खिलाफ असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती: तीन साल के प्रोबेशन पीरियड के खिलाफ लगी याचिका, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब



बिलासपुरएक घंटा पहले

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सहायक प्राध्यापकों की याचिका पर सुनवाई हुई।  - दैनिक भास्कर

सहायक प्राध्यापकों की याचिका पर सुनवाई हुई।

संबद्ध प्राध्यापक की भर्ती में विश्व विद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की अधिसूचना को नोटिस किया गया है, जो चुनौती देते हुए याचिका पर उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन, यूजीसी और पीएससी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। याचिका में सहायक प्राध्यापकों के तीन साल की परिवीक्षा अवधि और वेतन के स्थान पर प्रकार देने की संविधान की समवर्ती सूची के खिलाफ बताया गया है।

राज्य शासन ने सहायक प्राध्यापकों की भर्ती के लिए 2019 में नया नियम बनाया है। इसमें दो साल की परिवीक्षा अवधि को बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है। इसके साथ ही यह भी आदेश जारी किया गया है कि तीन साल की परीविक्षा अवधि के दौरान सहायक प्राध्यापकों को पेंशन के बदले क्रम में स्टाइपंड दिया जाएगा। इसके अनुसार पहले साल में पेंशन के 70%, दूसरे साल में 80 और तीसरे साल में 90% स्टाइपेंड दिया जाएगा।
सहायक प्राध्यापकों ने उच्च न्यायालय में दी है समस्या
नियम के इस नियम को सहायक प्राध्यापकों ने एडवोकेट रोहित शर्मा के माध्यम से उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। इसमें बताया गया है कि भारतीय संविधान में शिक्षा को समवर्ती सूची में रखा गया है। ऐसे में शिक्षा जैसे विषय पर यदि केंद्र सरकार संसद में नियम लागू करती है तो उसे राज्य की विधानसभा द्वारा बनाए गए नियमों में क्लॉक नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार उच्च शिक्षा के लिए विश्व विद्यालय अनुदान आयोग का गठन किया गया है और आयोग ने सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए नियम बनाया है, जिसमें योग्यता, अनुभव वेतन-भट्टों को शामिल किया गया है। लेकिन, राज्य सरकार ने यूजीसी के शेड्यूल को शेड्यूल कर नियम बनाया है, जो संविधान के खिलाफ है। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए राज्य शासन को स्वीकार करते हुए, पीएससी और यूजीसी ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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