नई दिल्ली. अभी दुनिया कोविड 19 (Covid 19) के साये से बाहर निकलने का मन बना ही रही थी. ऐसा लग रहा था कि हमें एक लंबे अंतराल के बाद कोरोना वायरस (Coronavirus) से शायद निजात मिल जाए. दुनिया पटरी पर लौट रही थी. ऐसे में ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) को तेजी से बढ़ता देखकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे वेरिएंट ऑफ कन्सर्न की श्रेणी में डाल दिया है. मतलब ऐसा वेरिएंट जो चिंता का कारण बन सकता है. अपने दरवाजे दूसरों के लिए खोलना शुरू कर रही दुनिया वापस बैकफुट पर लौट रही है. बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने इसे एक खतरनाक वेरिएंट के तौर पर हरी झंडी दिखाई है. वहीं पहले से ही डेल्टा वायरस के प्रकोप से जूझ रहे यूरोप के लिए इस नए वेरिएंट ने तकलीफें और बढ़ा दी हैं. लगातार तीन सालों से महामारी से जूझते हुए अब तक हमें यह बात तो समझ आ गई है कि अपने वंश की वृद्धि वायरस की एक और प्रकृति है. लेकिन ओमिक्रॉन ने एक अलग सा डर पैदा कर दिया है.
सार्स सीओवी-2 वेरिएंट्स लगातार बढ़ते कैसे रहते हैं?
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक जब कोई वायरस म्यूटेशन लेता है तो असल वायरस से उसके लक्षणों में उल्लेखनीय बदलाव होते हैं और इस तरह से नया वेरिएंट अस्तित्व में आता है. एक वेरिएंट में एक या ज्यादा म्यूटेशन उसे सार्स सीओवी-2 वायरस के अन्य वेरियंट से भिन्न बनाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर म्यूटेशन महत्वहीन होते हैं, लेकिन कुछ,खुद को साबित करके यानी प्राकृतिक चयन के जरिए प्रभावी हो सकते हैं.
वेरिएंट एंटीबॉडी से कैसे बच निकलते हैं?
टीका लगने और संक्रमण के बाद शरीर में जो एंटीबॉडी बनती है वो वायरस से सुरक्षा प्रदान करती है, इसलिए वेरिएंट चिंता का विषय नहीं होते हैं. हां कुछ वेरिएंट ऐसे हो सकते हैं जो एंटीबॉडी के सुरक्षा चक्र को भेदने में सक्षम हो जाते हैं. हालांकि अब तक ऐसा कोई बड़े वेरिएंट की पहचान नहीं हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वेरिएंट ऑफ कन्सर्न और वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट की सूची जारी की है, उसमें पाया गया है कि एंटीबॉडी ही नहीं संक्रमण या टीका लगने के बाद जो कोशिकीय इम्युनिटी होती है वह भी इम्यून सिस्टम को सक्षम बनाती है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञ ओमिक्रॉन को दूसरे वायरस ऑफ कन्सर्न की तुलना में दोबारा संक्रमण के खतरे के मामले में ज्यादा खतरनाक मानते हैं. उनका मानना है कि इस वेरिएंट के पास बढ़ोतरी करने का मौका ज्यादा हो सकता है.
क्या ऐसा कोई वेरिएंट हो सकता है जो पूरी तरह से एंटीबॉडी के असर को खत्म कर दे?
इस सवाल के जवाब में रॉकफैलर यूनिवर्सिटी के शोधार्थी कहते हैं, वेरिएंट को ऐसी क्षमता हासिल करने के लिए कई बार सटीक म्यूटेशन हासिल करना होगा, अब सार्स कोवि 2 के वेरिएंट को यह उपलब्धि हासिल करनी है तो उसे कम से कम 20 बार सही म्यूटेशन हासिल करना होगा, तब जाकर वह एक औसत व्यक्ति जो कोरोना से संक्रमित हुआ है या जिसे टीका लगा है उसकी एंटीबॉडी पर सटीक हमला कर सकता है.
बस यही वह बात है जिसने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. ओमिक्रॉन (B.1.1.529) में 30 म्यूटेशन पाए गए हैं, इनमें से कुछ म्यूटेशन वह अन्य बीटा (B.1.351) डेल्टा (B.1.617.2) वेरिएंट के साथ भी साझा करता है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि व्यक्तिगत म्यूटेशन इस बात की ओर इशारा नहीं करता है कि वह कितना प्रभावी हो सकता है, वायरस की प्रकृति और व्यवहार के आधार पर यह तय होता है कि वो कितना असर डाल सकता है.
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