वो निरूपमा के जीवन के दुर्दिन ही तो थे. न समय साथ में था न समीर। समय तो भी धीरे-धीरे गुज़र ही रहा था, पर समीर !!! उसकी क्या कहें, अभी भी टस से मस तक न हुआ था.
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वो निरूपमा के जीवन के दुर्दिन ही तो थे. न समय साथ में था न समीर। समय तो भी धीरे-धीरे गुज़र ही रहा था, पर समीर !!! उसकी क्या कहें, अभी भी टस से मस तक न हुआ था.
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