लेकिन लोग बात कर रहे हैं और इस महीने के अंत में जेपीजी विरोधी अन्य संचरण के साथ कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), समाजवादी पार्टी, एनसीपी, शिव सेना (उद्धव ठाकरे) , डीजेके (द्रमुक), आम आदमी पार्टी, सीपीएम, सीपीएम और सी ग्राफिक्स के नेताओं की बैठक की उम्मीद है।
क्या एक साथ आया और विश्वसनीय चुनौती दे? शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता और सांसद संजय राउत कहते हैं कि ‘बंटे हुए चुने’ का बीजेपी का भ्रम अगले आम चुनावों में टूटेगा। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी कहते हैं कि ‘नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, केशेखर राव और विभिन्न राजनीतिक पार्टियां रास्ता तलाशने का प्रयास कर रही हैं। जहां भी कोई पार्टी मजबूत होती है, उन सभी जगहों पर उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे।’
आर जुनी के सदस्य मनोज झा कुमार याद करते हैं कि 2015 में ही बिहार ने ‘ब्रैंड मोदी’ और बीजेपी की अपराजेयता का मिथ तोड़ दिया था। 2020 में एनडीए में बीजेपी और जेडीयू साथ थे और उन लोगों ने आरजेडी-लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन की तुलना में 0.3 प्रतिशत अधिक मत पाए थे। अब जदयू-जुनी-वाम-कांग्रेस के साथ है और 2024 में एक्सक्लूसिव स्थिति होगी।