Koo को नए फंड की जरूरत है। इस स्टार्टअप के को-फाउंडर मयंक बिदावतका ने यह बताया। उन्होंने इस बारे में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है। इसमें कहा है कि कू को नया फंड चाहिए या कोई दूसरी कंपनी इसका अधिग्रहण कर ले जिसके पास इसे आगे ले जाने की क्षमता हो। उन्होंने LinkedIn पर कहा है कि कू को अगले चरण में स्केल की जरूरत है। यह तभी होगा जब नया फंड आए या कोई ऐसी कंपनी इसे खरीद ले, जिसके पास पहले से स्केल हो। मार्केट की अभी जो स्थिति है, उसमें किसी दूसरे के साथ पार्टनरशिप का विकल्प अच्छा रहेगा।
उन्होंने लिखा है कि यह प्लेटफॉर्म अब ग्रोथ के लिए तैयार है। ग्रोथ के लिए कोशिश करने पर कू अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से आगे निकल सकता है। ऐसा लगता है कि बिदावतका के इस पोस्ट का मकसद बायर्स और इनवेस्टर्स को एक मैसेज देना है। हालांकि, उनके इस पोस्ट से यह भी पता चलता है कि कू दबाव का सामना कर रहा है। इससे पहले मनीकंट्रोल ने खबर दी थी कि कू के मंथली एक्टिव यूजर्स (MAU) की संख्या लगातार घट रही है।
Koo में टाइगर ग्लोबल का इनवेस्टमेंट है। अप्रैल 2023 में इसके मंथली एक्टिव यूजर्स की संख्या घटकर सिर्फ 31 लाख रह गई। इस साल यह लगातार तीसरे महीने गिरावट है। जनवरी 2023 में कू के 41 लाख मंथली एक्टिव यूजर्स थे। फरवरी में यह घटकर 35 लाख पर आ गया। मार्च में 32 लाख रह गया। अप्रैल में MAU 31 लाख था, जो जुलाई 2022 में 94 लाख के पीक का एक-तिहाई है। Twitter (अब X) और सरकार के बीच कानूनी रस्साकशी चल रही है। लेकिन, कू इसका फायदा उठाने में नाकाम रही है।
Koo का मुख्यालय बेंगलुरु में है। अप्रैल में इसका खर्च करीब 10.2 करोड़ रुपये था। हालांकि जनवरी के 16 करोड़ के मुकाबले यह काफी कम हो गया है। लेकिन, यह मार्च के 6.5 करोड़ के टारगेट से काफी ज्यादा है। यह टारगेट खुद कू ने तय किया था। बिदावतका ने बताया कि फंडिंग अब रुक गई है। अभी सिर्फ ऐसे स्टार्टअप्स फंड जुटा पा रहे हैं, जिनका बिजनेस घाटे से करीब-करीब बाहर आ गया है या जो जिसने अभी शुरुआत की है। लेकिन, इन्हें भी काफी कम वैल्यूएशंस पर फंड जुटाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
इस देशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने अभी FY23 के अपने वित्तीय नतीजे घोषित नहीं किए हैं। FY22 में इसका रेवेन्यू सिर्फ 14 लाख रुपये था। FY21 में यह 8 लाख रुपये था। FY22 में कू का लॉस बढ़कर 197 करोड़ रुपये पहुंच गया। FY21 में यह 35 करोड़ रुपये था। इस स्टार्टअप की शुरुआत अपरमेया राधाकृष्णा और बिदावतका ने 2020 में की थी। इसने टाइगर ग्लोबल सहित कई बड़े निवेशकों से 6.5 करोड़ डॉलर जुटाए हैं।