पिछले कुछ साल में शहरों में फूड पार्सल की डिलीवरी करने वाले स्टाफ का वास्तविक मेहनताना कम हुआ है, जबकि इन ऑर्डर की वॉल्यूम में बढ़ोतरी हुई है। एक स्टडी में यह बात सामने आई है। नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकनॉमिक रिसर्च (NCAER) की स्टडी के मुताबिक, पिछले कुछ साल में फूडटेक प्लैटफॉर्म का प्रति फूड पार्सल रेवेन्यू भी बेहतर हुआ है।
इस सर्वे में 924 फूड डिलीवरी स्टाफ को शामिल किया गया। सर्वे के मुताबिक, 2019 से 2022 के दौरान उनका वास्तविक मेहनताना 11 पर्सेंट घटकर 11,963 रुपये प्रति महीना हो गया। डीजल-पेट्रोल की कीमतों और कंज्यूमर प्राइस इनफ्लेशन में बढ़ोतरी की वजह से ऐसा हुआ। वास्तविक मेहनताना या इनकम के तहत महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए इनकम का आकलन किया जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 से 2022 के दौरान सर्वे में शामिल फूड डिलीवरी स्टाफ की इनकम 4 पर्सेंट बढ़कर 20,026 रुपये हो गई, जबकि 2019 में इनकम 19,239 रुपये थी। NCAER में प्रोफेसर और स्टडी की प्रमुख रिसर्चर बी. भंडारी ने बताया, ‘हमने पाया कि कई स्टाफ की ग्रॉस इनकम में बढ़ोतरी हुई, जबकि कई स्टाफ की ग्रॉस इनकम में बढ़ोतरी नहीं हुई। हालांकि, महंगाई दर में बढ़ोतरी और फ्यूल की ऊंची कीमत की वजह से नेट इनकम में बढ़ोतरी नहीं हुई।’
काफी पढ़े लिखे युवा भी कर रहे यह काम
स्टडी में पाया गया कि फूड डिलीवरी करने वाले स्टाफ उच्च शिक्षित थे। ऐसे ज्यादातर लोग छोटे शहरों में डिलीवरी का काम करते हैं। स्टडी के मुताबिक, एक तिहाई से ज्यादा फूड डिलीवरी स्टाफ के पास ग्रैजुएशन की डिग्री थी, जबकि टीयर-2 शहरों में 39.9 पर्सेंट ऐसे स्टाफ ग्रैजुएट थे। इनमें से कइयों के पास टेक्निकल डिग्री या डिप्लोमा भी था। इंडस्ट्री अनुमानों के मुताबिक, भारत में जोमैटो (Zomato) और स्विगी (Swiggy) जैसे प्लैटफॉर्म पर 7 से 10 लाख फूड डिलीवरी स्टाफ काम कर रहे हैं।
टारगेट पूरा करने पर इंसेंटिव
फूड डिलीवरी स्टाफ दो शिफ्ट में काम करते हैं। लंबी शिफ्ट औसतन 11 घंटे की होती है, जबकि छोटी शिफ्ट में 5 घंटे तक काम करना पड़ता है। लंबी शिफ्ट में स्टाफ को 42 रुपये प्रति घंटा के हिसाब से भुगतान किया जाता है, जबकि छोटी शिफ्ट में मेहनताने की दर 54 रुपये प्रति घंटा है। स्टडी में बताया गया है कि हालांकि रोजाना और साप्ताहिक टारगेट को पूरा करने का मौका सिर्फ लंबी शिफ्ट वाले स्टाफ को मिलता है। इन स्टाफ को रोजाना मेहनताना के अलावा इंसेंटिव भी मिलता है।
टारगेट में समय और शहर के हिसाब से बदलाव होता है। उत्तरी गोवा के एक स्टाफ ने बताया कि रोजाना 250 रुपये की कमाई पर 50 रुपये बतौर इंसेंटिव मिलता है। इसी तरह, 300 रुपये कमाने पर 80 रुपये इंसेंटिव मिलता है।