रायपुर2 घंटे पहलेलेखक: अश्विनी पांडेय
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प्रतीकात्मकता चित्र
छत्तीसगढ़ देश में पहला ऐसा राज्य है जहां पार्किंसन-बौनापन जैसे 21 प्रकार के दिवसता पर दिवसों की गणना की गई है। इससे पहले 2011 में हुई जनगणना में सिर्फ 7 प्रकार के दिवसों को ही शामिल किया गया था। इसका असर यह हुआ कि प्रदेश में दिनों की संख्या 1.46 लाख से बढ़कर अब 7.70 लाख हो गई है।
समाज कल्याण विभाग का कहना है कि इन सभी अंकों को सरकारी लाभ मिलेगा। बता दें कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार राज्य सरकार ने दिनों की गणना की है। इसके पहले कई बार प्रयास किए गए, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। 2011 में हुई जनगणना के अनुसार प्रदेश में 6.24 लाख दिवस थे।
समाज कल्याण विभाग पिछले 6 महीने से एक-एक घर में क्रमांक दिनों की गणना कर रहा था। विभाग का दावा है कि धुर प्रभावित संवेदनशील क्षेत्र में भी यह गणना हुई है। निर्वाचन आयोग किसी भी विभाग से अंकों के आंकड़े मांगता है, प्रत्येक के मतदाता पहचान पत्र बनाए जा सकते हैं। चुनाव के पहले हुई यह गणना के कई मायने हैं।
जांजगीर-चांपा में सबसे ज्यादा 56 हजार नारायणपुर में सिर्फ 3 हजार दिन
छत्तीसगढ़ में दिनों की संख्या 7.70 लाख निकली है। जहां तक सबसे ज्यादा लेटर की बात की जाए तो 56 हजार से ज्यादा दिन जांजगीर-चांपा में तो सबसे कम 3 हजार नारायणपुर में हैं। शहरों की ग्रामीण क्षेत्रों में जुड़ाव अधिक हैं। शहरी इलाके में 16.2 प्रतिशत तो ग्रामीण क्षेत्रों में 83.8 प्रतिशत दिन रहते हैं।
आगे क्या – इस आधार पर लॉग इन करें
समाज के सभी कल्याण विभाग नेटवर्क में शिविर लगाते हैं और उनका मेडिकल सब्सक्राइब करते हैं। इसके बाद दिन के आधार पर उन्हें शासकीय योजनाएँ प्राप्त होंगी। सभी का आनलाइन डाटा अपडेट किया जाएगा। दिन अभी तक किस योजना का लाभ ले रहे थे इसके डाटाबेस भी तैयार किए जाएंगे।
तेजाब को भी दिन माना जाता है
इस जनगणना में हुए दिवसों को दिवसजन अधिकार अधिनियम 2016 के अनुसार 21 प्रकार के दिवसों को शामिल किया गया। इससे पहले 2011 की जनगणना दृष्टिहीनता, अल्प दृष्टिबाधित, कुष्ठ रोग, बधिर, लोकोमोटर, मानसिक रूग्णता और बौद्धिकता के आधार पर हुई थी। छत्तीसगढ़ सरकार की गणना में इन सात के अलावा इन तिथियों को भी जोड़ा गया है। प्रदेश में सबसे अधिक लोकोमोटर दिवसता के मामले मिले हैं, जबकि सबसे कम चिरकारी तंत्रिका विकार के दिन मिले हैं।

ये दिवसता की श्रेणियों में
ऑटिज्म, तेजाब पीड़ित, सेरेब्रल पाल्सी, क्रॉनिक न्यूरोलॉजिकल कंडिशन्स, बौनापन, हीमोफीलिया, मल्टीपल स्केलेरोसिस, मांसपेशी दुर्विकास, पार्किंसंस, सिकल कपिस रोग, वाक एवं भाषा, एलजीबीटीक्यू, लीन डिसिंग और मल्टीपल डिसप्ले। इसी तरह के दिनों की उम्र के आधार पर भी जनगणना की गई। इसमें 67 प्रतिशत दिन 15 से 59 साल के मिले। 4 साल तक 1.1 प्रतिशत, 5 से 14 साल के 6.4 प्रतिशत, 60 साल से अधिक 25.5 प्रतिशत दिन मिले।
पूरे देश में पहली बार
“देश में पहली बार 21 प्रकार की संख्या के साथ इसकी गणना की गई है। जल्द ही आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाएगा।” -पंकज वर्मा, ऑपरेटर-समाज कल्याण