नकदी की दिक्कतों से जूझ रही डुंजो (Dunzo) ने एंप्लॉयीज की अगस्त की सैलरी के लिए एनबीएफसी वनटैप (OneTap) से हाथ मिलाया है। क्विक कॉमर्स स्टार्टअप डुंजो ने वनटैप के साथ साझेदारी करने का फैसला ऐसे समय में लिया जब वह इससे पहले कई डेडलाइन चूक चुकी है और एंप्लॉयीज को अगस्त का वेतन नहीं बांट पाई है। इसके अलावा इसने अभी तक जून और जुलाई के बकाया वेतन के हिस्से का भी पेमेंट नहीं किया है। मनीकंट्रोल ने पहले जानकरी दी थी कि कि बेंगलुरु स्थित इस स्टार्टअप ने 4 सितंबर से एंप्लॉयीज को को बैचों में पेमेंट करने का वादा किया था लेकिन फिर इसमें फिर देरी हो गई।
वनटैप को कैपिटल ट्रेड लिंक्स (CTL) ऑपरेट करती है जो BSE पर लिस्टेड है। यह कारोबारी लोन, प्रॉपर्टी गिरवी रखकर लोन, गाड़ियों के लिए लोन, पर्सनल लोन इत्यादि मुहैया कराती है। कैपिटल ट्रेड लिंक्स स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) जैसे बड़े बैंकों से जुड़ी हुई है। इसके अलावा यह क्रेडइन, सैलरी दोस्त, एएफजी बिजनेस, महिला मनी से भी जुड़ी हुई है।
एंप्लॉयीज को कब तक मिल जाएगी सैलरी
कंपनी ने एंप्लॉयीज को जो मेल 13 सितंबर को भेजा है, उसमें लिखा है कि एंप्लॉयीज को उनकी सैलरी 14 सितंबर या 15 सितंबर तक मिल जाएगी। कंपनी का कहना है कि साझेदारी डुंजो और वनटैप के बीच हुई है तो सभी देनदारियों का दायित्व पूरी तरह से डुंजो के पास ही रहेगा। एंप्लॉयीज के लिए यह बिना किसी ब्याज या रीपेमेंट या रीपेमेंट ऑब्लिगेशन्स के रेगुलर सैलरी क्रेडिट के तौर पर माना जाएगा। चूंकि डुंजो ने सैलरी को लेकर कई डेडलाइन मिस की है तो कुछ समय पहले इसने सैलरी पर 12 फीसदी का सालाना ब्याज देने का भी वादा किया था। इसे लेकर पॉजिटिव माहौल था क्योंकि डुंजो पैसे जुटाने वाली थी लेकिन टाइमलाइन तय नहीं था।
सिर्फ सैलरी ही नहीं, और भी कामों के लिए चाहिए फंड
डुंजो को सिर्फ एंप्लॉयीज की सैलरी देने के लिए ही फंड नहीं चाहिए बल्कि इसे और भी पेमेंट्स के लिए फंड जुटाना है। इसे वर्किंग कैपिटल की जरूरतों के लिए पैसे जुटाने हैं। मनीकंट्रोल ने कुछ समय पहले जो जानकारी दी थी, उसके मुताबिक 11 करोड़ रुपये चुकाने के लिए इसे सात कंपनियों और वेंडर्स से लीगल नोटिस भी मिला है। 2015 से लेकर अब तक डुंजो रिलायंस रिटेल (Reliance Retail), गूगल (Google), लाइटरॉक (Lightrock), लाइटबॉक्स (Lightbox), ब्लूम वेंचर्स (Blume Ventures) समेत कुछ अन्य जगहों से यह करीब 50 करोड़ डॉलर जुटा चुकी है। 25.8 फीसदी हिस्सेदारी के साथ रिलायंस इसकी सबसे बड़ी शेयरहोल्डर है। Tracxn के आंकड़ों के मुताबिक इसके बाद गूगल के पास इसकी सबसे अधिक करीब 19 फीसदी हिस्सेदारी है।
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