पाकिस्ता की अदालत ने अदालत ने अपने फैसले में कहा था, “हम कानून लागू करने वाली संस्थाओं को निर्देश देते हैं कि वे भगोड़े/दोषी को पकड़ने में अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करें और यह सुनिश्चित करें कि दोषी को कानून के मुताबिक सजा दी जाए और, अगर उनकी मौत हो जाती है तो उनकी लाश को घसीटकर इस्लामाबाद में डी चौक पर लाया जाए और तीन दिन तक उसे वहीं लटकाया जाए।”
जब पाकिस्तान की अदालत ने फैसला सुनाया था, तभी मुशर्रफ दुबई में ही थे। उन्होंने फैसले को गलत बताते हुए कहा था कि उनके खिलाफ निजी प्रतिशोध की भावना से फैसला किया गया।