रायपुरएक घंटा पहले
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नगर निगम में होर्डिंग घोटाले में शामिल अधिकारी मेहरबानी की जा रही है। ये दावा है बीजेपी का। इंडियन पब्लिक पार्टी के नेता संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि निगम में सिर्फ जांच का नाटक चल रहा है। जिन पर संदेह वही जांच समिति के सदस्य हैं, महापौर द्वारा घोटाले के स्वीकार करने के बाद अब तक दोषियों पर स्थिर क्यों नहीं किया गया। इन सवालों के जरिए बीजेपी कॉरपोरेशन इसे बड़ा घोटाला बता रहा है।

महापौर ने इस मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए जो अब तक नहीं हुए।
रायपुर नगर निगम के पूर्व सभापति संजय श्रीवास्तव ने 27 करोड़ रुपये के यूनिपोल घोटाले को लेकर कहा कि महापौर एजाज ढेबर सहित भ्रष्टाचार और घोटाले की इस लूट में सभी भागीदार हैं। ईडी की जांच कारवाइयों से डरे-सहमे और बदहवास कांग्रेस के लोग अपनी लूट को खुद के सामने लाकर अब छिपे की बात कर रहे हैं। यूनिपोल घोटाले की लूट में कांग्रेस के लोगों और अफसरों, सभी की मिलीभगत है। इतना ही नहीं, जो संदेह के दायरे में हैं, प्रथम दृष्टया जो चीजें सामने आ रही हैं, उन अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई जोखिम नहीं हुआ है।
7 दिन पहले अधिकारियों को आरोप बताते थे खुद महापौर ढेबर
पिछले हफ्ते ही महापौर ने होर्डिंग घोटाला मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस ली थी। उनका कहना था कि अब तक सिनेबीन को करीब 50 करोड़ का नुकसान हुआ है। अधिकारी होर्डिंग लगाने या उनकी निविदा जारी करने पर अधिसूचना पालन करते हैं तो ये निकासी निगम के पास आता है। इस राशि का उपयोग गार्डन मोहल्लों के विकास में होता है।
महापौर ने कहा कि निगम के अधिकारियों ने यूनिपोल लगाने से मनमानी और फिक्स को फायदा होगा। काम एजेंसी की छत पर दिए गए। 51 बोर्ड का मिशन 4 महीने में दिया गया। एजेंसी से ज्यादा हमारे अधिकारी कर्मचारी ज्यादा आकर्षक दिखते हैं। ही अपना सोना खोटा है तो सुनार को क्या दोष देता है। एजेंसी ने किया काम, गलत तो सूचनाओं ने किया। अधिकारी दोषी हैं, कर्मचारी गोलमोल अधिकारी जवाब दे रहे हैं, एजेंसी को मैं नहीं कह रहा हूं, मेरे ही आदमी कागज बना रहे हैं।
फ़ोरम को राहत, मगर क्यों
महापौर ने पिछली बार को दिए बयानों में मीडिया संपर्क अधिकारियों की गलती, हालांकि किसी पर कार्रवाई नहीं की। बीजेपी के ये नेता भी सवाल उठा रहे हैं कि इस पूरे कांड में अफसरों को फायदा पहुंचाने का काम खुद ही कर लिया। फिर ऐसे दस्तावेजों को ब्लैक लिस्ट क्यों नहीं किया जा रहा है। बीजेपी ने इस पर सांठ-गांठ के आरोप लगाए हैं।
खुद महापौर ने की थी गड़बड़ी उजागर
करीब 20 दिन पहले ये मामला खुद मीडिया के सामने लेकर महापौर एजाज ढेबर आए, उन्होंने जानकारी देते हुए कहा- नगर निगम के अधिकारियों ने एड से मेल खाते हुए जहां मन में आया वहां पोल लगवाकर होर्डिंग लगवा दिए। महापौर से छुपाकर अधिकारियों ने 27 करोड़ का घपला किया है। उन्होंने बताया कि मेरी जानकारी के दलाल अधिकारियों ने होर्डिंग के टेंडर का काम दे दिया। मनमानी तरीके से रेट किए गए। जिसे मन चाहा टेंडर दिया गया है। 15 गुणा 9 के आकार को मनमानी तरीके से 18 गुणा 18 किया गया। रेट जो नहीं लगे थे। एमआईसी में रेटेड फाइनल करने का प्रस्ताव आना चाहिए था, नहीं आया। शहर में स्थायी होर्डिंग, यूनिपोल लग गए वो होर्डिंग अवैध है।