बिहार बीजेपी में होली के ठीक बाद बड़े पैमाने पर बदलाव कर दिया गया है। पार्टी ने 45 जिलाध्यों को बदल दिया है। सवाल यह है कि क्या आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाओं में आने वाले नतीजों और मौजूदा गठबंधन सरकार से बीजेपी डरी हुई है? आखिर क्यों पार्टी ने एक साथ 45 जिलाध्यों को बदल दिया।? जाहिर है 2024 का अगला लोकसभा चुनाव और 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव इन्हीं जिला अध्यक्षों के नेतृत्व में लड़ा जाना है।
नए जिलाध्यों के नामों की सूची पर नजर डालने तो यह साफ हो जाता है कि इसमें समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की पार्टी ने पूरी कोशिश की है। इनमें अगड़ी जाति से लेकर पिछड़ी और यहां तक की अतिपिछड़ी जाति से आने वाले लोगों को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है।
बिहार बीजेपी के अध्यक्ष द्वारा जिलाध्यों की सूची जारी करने के बाद पार्टी में सरगर्मी बढ़ गई है। पार्टी के कुछ नेताओं में मायूसी है तो कुछ इस नई सूची से सहमत दिख रहे हैं। नए जिलाध्य, चुनावों में पार्टी के लिए कितने फायदेमंद साबित होंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन जो अहम सवाल है वो यह है कि आखिर एक साथ 45 जिलाध्यों को क्यों बदल दिया गया, क्या पार्टी को इनके नेतृत्व में चुनावों में जीत का भरोसा नहीं था?