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Chhattisgarh

एनीमिया मुक्त अभियान में लाएंगे तेजी…: पहली बार मेड इन छत्तीसगढ़ हीमोग्लोबिन मीटर मशीनों का इस्तेमाल, सिर्फ 4 सेकंड में मिलेगी रिपोर्ट



रायपुर2 घंटे पहलेलेखक: अमिताभ अरुण दुबे

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टास्क की जांच के लिए इन छत्तीसगढ़ रजिस्टर मीटर मशीनों का इस्तेमाल करेंगे - Dainik Bhaskar

टास्क की जांच के लिए इन छत्तीसगढ़ में करोड़ों मीटर का उपयोग करेंगे

राज्यों से मुक्त छत्तीसगढ़ की दिशा में प्रदेश ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है, जो पहली बार प्रदेश भर में मतदाताओं की जांच के लिए इन छत्तीसगढ़ वर्किंग मीटर मशीनों का उपयोग करेगा। रविवार को दुर्गा जिले के पाटन ब्लॉक के गांव सांकरा में सीएम भूपेश बघेल और कांग्रेस के प्रदेश प्रभार कुमारी शैलजा ने भी इस मशीन से टेस्ट करवाकर देखा।

दरअसल, छत्तीसगढ़ में उद्योग विभाग के स्टॉल पर कई कतारों की कतारें प्रदर्शन के लिए रखी गईं। जानकारी के अनुसार पूरे प्रदेश में पहली बार रीजेंट फ्री मीटर साइट छत्तीसगढ़ में बनाई गई है। दुर्गा की एक निजी कंपनी ने इस मशीन को बनाया है। इसका निर्माण होता है कि केवल 4 सेकंड के अंदर ही रक्त की जांच हो जाती है।

वहीं एक मशीन से करीब एक हजार से ज्यादा टेस्ट किए जा सकते हैं। प्रदेश में पेयजल की कमी, सिकलसेल के नागरिकों के लिए इस तस्वीर से राहत मिलने की उम्मीद जा रही है। सूचना के अनुसार छत्तीसगढ़ अब चिकित्सा उपकरणों के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

पाटन के अनुसंधान केंद्र में बोट्स पर भी रिसर्च हो रही है

विशेष रूप से छत्तीसगढ़ में एक बड़ी समस्या है। ऑप्टिक से संबंधित डेटा के अवलोकन केंद्र में नेटवर्किंग को रोकने के लिए एक बड़ा अध्ययन और अनुसंधान भी चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। जिसमें विटामिन और स्वास्थ्य स्कोरिंग के जरिए डोर टू डोर खून की कमी की जांच पर जोर दिया जा रहा है। प्रदेश में बनी मशीन से कम वक्त में खून की कमी से जूझ रहे लोगों की पहचान में तेजी से आने की उम्मीद भी हो रही है।

ये है मशीन के प्रतिरूप

  • केवल 4 सेकेंड में रिपोर्ट मिल जाएगी।
  • कहीं भी आसानी से ले जा सकते हैं।
  • पहला रीएजेंट (कैमिकल फ्री पेपर)।
  • पूरी तरह से डिजिटल कंप्यूटर होगा।
  • एक्यूरेसी के साथ एचबी-चैकटी जांच।

डोर-टू-डोर अभियान “एनीमिया मुक्त बनाना डोर-टू-डोर रक्त की कमी से जूझ रहे रोगियों को काम करने वाले राजनेताओं को प्रशिक्षण के साथ जांच के उपकरण भी दिए जा रहे हैं।” -सुभाष मिश्रा, निर्देशक, अकादमिक

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