Muktibodh2
लेटेस्ट

गजानन माधव मुक्तिबोध पुण्य तिथि 11सितंबर पर विशेष लेख गणेश कछवाहा की कलम से…..


मुक्तिबोध वस्तुतः जीवन दर्शन ,व्यवस्था की विसंगतियों और सामाजिक चेतना से साक्षात्कार करते हुए जीवन के सौन्दर्य को तलाशते हैं। यथार्थ से सीधे साक्षात्कार करने का नाम है मुक्तिबोध
—————————–
गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म 13 नवम्बर, 1917 को रात 02 बजे श्योपुर मध्यप्रदेश में माधवराव-पार्वती दंपत्ति के घर हुआ। 17 फरवरी 1964 को अकस्मात पक्षाघात हुआ और अन्ततः 11सितम्बर 1964 को भोपाल मध्यप्रदेश में प्राण त्याग दिए। निवास स्थान को अब ‘मुक्तिबोध स्मारक’ बना दिया गया है.
*********************

मुक्तिबोध के काव्य की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि उसमें युग की नई चेतना नये रूप में अभिव्यक्त हुई है वह भी नई काव्य भाषा में। जिसमें चेतना और भावना के विद्रोह के साथ भाषा का विद्रोह भी मिलता है। … मुहावरे, लोकोक्तियों का प्रयोग भी उनकी काव्य भाषा में हुआ।
गजानन माधव मुक्तिबोध हिन्दी साहित्य के ऐसे कवि हैं जिन्होंने छायावाद से काव्य रचनाएं आरम्भ की और प्रगतिवाद, प्रयोगवाद व नई कविता की युगधाराओं से जुड़ते हुए काव्य में ऐसी काव्य भाषा और शिल्प का प्रयोग किया

Muktibodh1

मुक्तिबोध काव्य को दो प्रकार का मानते हैं- यथार्थवादी और भाववादी या रूमानी। उनके अनुसार, ”कलाकृति स्वानुभूत जीवन की कल्पना द्वारा पुनर्रचना है। यथार्थवादी शिल्प के अन्तर्गत, कलाकृति यथार्थ के अन्तर्नियमों के अनुसार यथार्थ के बिम्बों की क्रमिक रचना प्रस्तुत करती है किन्तु भाववादी रोमांटिक शिल्प के अन्तर्गत कल्पना अधिक स्वतन्त्र होकर जीवन की स्वानुभूत विशेषताओं को समष्टि चित्रों द्वारा, प्रतीक चित्रों द्वारा प्रस्तुत करती है। मुक्तिबोध वस्तुतः जीवन दर्शन ,व्यवस्था की विसंगतियों और सामाजिक चेतना से साक्षात्कार करते हुए जीवन के मुक्ति का मार्ग तलाशते हैं।यथार्थ से सीधे साक्षात्कार करने का नाम है मुक्तिबोध।

पाठकों के लिए कवितायें —
“अँधेरे में ” के कुछ अंश गजानन माधव मुक्तिबोध
——————-
अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे
उठाने ही होंगे।
तोड़ने होंगे ही मठ और गढ़ सब ।
पहुँचाना होगा दुर्गम पहाड़ों के उस पार
तब कहीं देखने को मिलेंगी बाँहें
जिनमें कि प्रतिपल काँपता रहता
अरुण कमल एक।
……..
इसीलिए मैं हर गली में
और हर सड़क पर
झांक-झाँककर देखता हूँ हर चेहरा
प्रत्येक गतिविधि,
प्रत्येक चरित्र,
व हर एक आत्मा का इतिहास,
हर एक देश व राजनैतिक परिस्थिति
प्रत्येक मानवीय-स्वानुभूत आदर्श
विवेक-प्रक्रिया, क्रियागत परिणति!!
………
खोजता हूँ पठार …पहाड़ …समुन्दर
जहाँ मिल सके मुझे
मेरी वह खोयी हुई
परम अभिव्यक्ति अनिवार
आत्म-सम्भवा!
********************

Ganesh

गणेश कछवाहा
     काशीधाम
रायगढ़ छत्तीसगढ़